नेह की डोरी

हरिहौं नेह की डोरी काँची
भोगी कीट जगत विलासी हमरौ प्रीति न साँची
तुम्हरी प्रीति होय साँची नाथा तुमहिं करौ निबेरौ
चरणन बांध राखो निज नाथा परै न जगति फेरौ
साँचो नाथ बिसराई बाँवरी जन्मन जन्म गमाई
हा हा नाथ अबहुँ विलपत रहै आपहुँ बनो सहाई

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