मेरे दिल मे रहकर
मेरे दिल मे रहकर मुझसे पर्दा मेरी सरकार करते हैं
जाने क्यों ऐसा वो बार बार करते हैं।
खामोशियों में आकर छेड़ जाते हैं बात इश्क़ की
सम्भले से दिल को जाने क्यों बेकरार करते हैं
मेरे दिल मे.....
जानते हैं बेपनाह मोहबतें हैं उनके दिल में
अपनी अदाओं से वो सब इज़हार करते हैं
मेरे दिल मे.....
हम भी कहाँ समझे दस्तूर ए इश्क़ अब तलक
गलती पर गलती हम फिर बार बार करते हैं
मेरे दिल मे.....
देने को तुमको तो कुछ भी नहीं पास मेरे
अश्कों की चंद लड़ियाँ चलो उपहार करते हैं
मेरे दिल में...
और वो तोहफ़ा इस गरीब का हर बार
अपने दिल से लगा स्वीकार करते हैं
मेरे दिल में....
हैरान हूँ सच में मैं उनका इश्क़ देख देख
और मुझको मेरे गुनाह शर्मसार करते हैं
मेरे दिल में...
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