बाँवरी समय बिगारी
हरिहौं बाँवरी समय बिगारी
भोग जगति के लागै नीके हरिभजन लगै अति खारी
करै प्रमाद हरिनाम भजन कौ सन्तन कौ कान न देवै
बिरथा करै अपनी मनमानी किस विधि हरि कौ सेवै
हा हा बाँवरी भोगन डूबी हरिहौं आपहुँ देयो निकारी
भजन बनै न मूढ़ा अधम सौं सुन लेयो अरजा हमारी
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