दूजो मन कहाँ पाऊँ

हरिहौं दूजो मन कहाँ पाऊँ
एक मलिन होय अति भारी किस विध भजन लगाऊँ
आपहुँ करो सम्भार मोरी नाथा अबहुँ कौन द्वारे जाऊँ
कौन ठौर होय नाथा मोरी जहाँ जाय जाय चिल्लाऊँ
एकै नाम तिहारो निताई रामा बस मुख सौं हर क्षण गाऊँ
याहि अरज़ा करै बाँवरी दासी नाँहिं निताई नाम बिसराऊँ

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