किस तरह दर्द

किस तरह दर्द तेरा देख पाएँगे हम
तेरे अश्कों को अपनी आँखों से बहाएंगे हम

वो बरसातें जो भरी हैं तेरी आँखों में कहीं
उन्हीं बरसातों में भीग कर अब नहाएंगे हम
किस तरह दर्द......

देकर मुझको अपना सब गम मुझे गमगीन करो
पीकर यह दर्द का प्याला भी मुस्कुरायेंगे हम
किस तरह दर्द.......

क्यों तेरा दर्द यह अब मेरी जान भी नहीं लेता
तेरे भीतर की सुलगन से खुद को सुलगाएँगे हम
किस तरह दर्द......

हाँ तेरा दर्द गवारा नहीं अब मेरी रूह को
दर्द तेरे दिल के तेरी कलम से अब सुनाएंगे हम
किस तरह दर्द तेरा देख पाएँगे हम
तेरे अश्कों को अपनी आँखों से बहाएंगे हम

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