झूठ दुकान

हरिहौं बाँवरी खोले झूठ दुकान
हरिनाम न जिव्हा नाचै कूकरी सम मिथ्या करै बखान
जन्म जन्म गमाई रही भजन बिन बाँवरी मूढ़ मति नादान
हरिनाम ही होय साँचो धन मूढ़े करै जगति विष्ठा पान
कबहुँ जिव्हा हरिनाम रस चाखै मन करै हरि कौ ध्यान
बाँवरी कबहुँ भोग विषय छूटे हिय उपजै साँचो ज्ञान

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून