आसान नहीं
आसान
नहीं नहीं
आसान नहीं
बिल्कुल भी
यह सँग
तुम्हारा नहीं
तुम्हारे प्यारों का सँग
हाँ सच
उनकी सहजता
उनकी कोमलता
उनकी सुगन्ध
उनकी मृदुलता
क्षण भर को भी छू लेती है न
तो ग्लानि होने लगती
स्वयम से
आह !!!
यह मलिनता
यह कठोरता
यह निर्लज्जता
यह कृत्रिमता
से भरा हुआ हृदय
क्या वास्तव में इस सँग योग्य है
नहीं नहीं
कदापि नहीं
उनकी छुवन
उनके सौरभ से
यह पत्थर हृदय
पिघलता क्यों नहीं
कैसे सहन होती अपनी निष्ठुरता
भाव प्रेम शून्य हृदय
हा नाथ !!
कहाँ छिपाऊँ अपने दुर्गुण
अपनी वासनाएँ
जो मुझे क्षण क्षण काटने लगती
फिर भी यह पाषाण हृदय
लेकर सन्मुख हूँ
तुम्हारे
तुम्हारे प्यारों के
जहाँ तुम ही तुम छिपे
निहारते हो न प्रेम से
इस मलिन को
😭😭😭😭😭
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