बरसाना में प्रकटी किशोरी
नित्य लीला करत मेरी भोरी
बरसाना में प्रकटी किशोरी
श्यामसुंदर सँग मुदित विराजै
नित्य नवल जोरि यह साजै
श्याम सांवल राधिका गोरी
बरसाना में .......
सखी निरख निरख सुख पाऊँ
मुख श्यामाश्याम ही गाऊँ
बलिहारी जाऊँ रस जोरि
बरसाना में.......
मोहे प्रीति की रीति सिखाओ
स्वामिनी निज चेरी बनाओ
पाऊँ प्रीति चित्त में थोरी
बरसाना में.......
सब अधम पतित अपनाए
हँस हँस सब गले लगाए
करै बाँवरी दासी निहोरी
बरसाना में........
रस बरसाने वाली किशोरी
दासी की सुनियो निहोरी
मोरे नयनन बसो नव जोरी
बरसाना में प्रकटी किशोरी
...............
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