स्वामिनी कौन भाँति बिसराई

स्वामिनी कौन भाँति बिसराई
जैसो कैसो तिहारी स्वामिनी काहे दीन्हीं भुलाई
हौं अधम दीन अति पामर बाँवरी कछु बल न पाई
हा हा करत लड़ैती मोरी चितवो नाँहिं अधमाई
अपनो जन निहारो स्वामिनी रहै दासी तेरी अकुलाई
टेरत टेरत न बनत किशोरी दृग जल रही बहाई

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