वन्दौ श्रीहरिदास

वन्दौ श्रीहरिदास प्रकटायौ कुँज बिहारी
रसिक अनन्य निजमहल वासी सखी युगल अँकधारी
पोषे श्रीयुगल नित्यसेवा रास विलास अतिहि सुखकारी
युगल प्रेम रसरीति दीन्हीं नव नवल विलास आनन्दकारी
वन्दौ तिन चरण कमल जिन निधिवन युगल प्रेम प्रकास कियो
श्रीहरिदास भज री बाँवरी जिन नित्य युगल विलास दियो

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