सन्त हृदय होय उदारा
सन्त हृदय होय अति उदारा
पकरि पकरि अधम जन सारे भव सौं करते पारा
कोमल हृदय परम उपकारी वाणी बहै रस धारा
सुनि सुनि सकल भव ताप नासै कौन करै बिचारा
सन्त समान न तरुवर कोय मीठे फल मीठी छाया
बाँवरी कृपा सौं सन्त रज पाई सन्त कृपा सन्त गुण गाया
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