तेरे इश्क़ में चाहे
तेरे इश्क़ में चाहे सौ इल्ज़ाम हमपे आये
बस नाम इक तेरा ही मेरे लब पे आये
रूह तक हुई नीलाम अब तेरे इश्क़ में प्यारे
मुझपर जो बेख़ुदी है हाय वह सबपे आये
तेरे इश्क़ में.......
नहीं कुछ सूझता अब तेरे नाम के सिवा हमें
तू ही एक है रब मेरा अब दूसरा किधर से आये
तेरे इश्क़ में ........
नस नस में भर दो साहिब अब इश्क़ तुम अपना
तेरे इश्क़ में रूह नाचे जब तेरा नाम लेके गाये
तेरे इश्क़ में .........
नहीं होश रहे बाक़ी हो खुमारी तेरे इश्क़ की
तेरे इश्क़ का नशा ही मेरे सिर चढ़ता जाये
तेरे इश्क़ में ........
तेरे दर के हैं भिखारी यही खैरात माँगते हैं
बस अपना नाम देना जब जिस्म से जान जाये
तेरे इश्क़ में .........
मिटकर भी हमको होना है धूल तेरे दर की
इस दिल में बाक़ी एक ही यही चाहत रह जाये
तेरे इश्क़ में ..........
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