चंचल चित्त रह्यो विषयन लाग

हरिहौं चंचल चित्त रहै विषयन लाग
पकरि पकरि राखूं मैं निर्बल पुनि पुनि जावै भाग
जन्मन रहै विषयन की प्रीति न हरि सौं भ्यो अनुराग
कौन भाँति जड़ता छुटै बाँवरी हिय पावै हरिप्रेम पराग
हा हा नाथ बलहीना बाँवरी कबहुँ लगै प्रेम कौ लाग
जगति फिरै निशदिन मदमाती कबहुँ विषयन होय बैराग

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून