लगै जगति कौ स्वाद

हरिहौं लगै जगति कौ स्वाद

नाम भजन की रीति बिसराई बाँवरी बिरथा करै बकवाद

हरि भजन सौं चित्त न भीजै नाँहिं हरि की आवै याद

नीको लागै मिथ्या देह सुख जामै भरी विष्ठा मवाद

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