बिरथा चिंता छोर
मनवा बिरथा चिंता छोर
कर लेय प्रीति हरि चरण सौं , हरि सौं नाथा जोर
काहे हिय भरि राखी बाँवरी बिरथा जगति पसारा
हरि कौ नाम ही धन साँचा मूढ़े दिया बिसारा
हरि हरि भज पतित बाँवरी हिय भर लेय हरिनाम
हरिनाम बिनु कबहुँ नाँहिं पावै मानुस देहि कौ दाम
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