बांसुरी का भाव
सखी
सखी सुन न
सखी श्यामसुंदर बांसुरी में मुझे पुकार रहे हैं।
बांसुरी तो वह नित्य ही बजाते हैं। परन्तु ऐसी तो आज ही सुन रही हूं।
तुमने सुना सखी। सुन ले। देख मेरे हृदय में इस बांसुरी से कैसे उथलपुथल सी होवै है।
सखी मोसे रुक्यो न जावे
मेरे श्यामसुंदर पुकार रहे मोहे सखी
सखी ! सखी ! सखी जा रही हूं मै । मुझे प्रियतम पुकार रहे सखी
श्यामसुंदर श्यामसुंदर श्यामसुंदर आ रही हूं मै
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