तेरी चौखट

तेरी चौखट बिना जाएं कहाँ हम दिल लगा बैठे
जगत में कौन है अपना तुम्हें अपना बना बैठे

कहो क्या दिल लगाना तुमसे कोई जुर्म है मेरा
सदा से समझी जो अपना सदा से वो दिल था तेरा
लौटा कर दिल तुम्हारा ही तेरी चौखट पे आ बैठे
तेरी चौखट .......

सहेंगे हम सितम कितने पर तुमसे दूर न जाएँ
तेरा जब जिक्र न हो मोहन हम ऐसे नग़मे क्यों गाएँ
तेरे ही इश्क़ को साहिब हम जिन्दगी अपनी बना बैठे
तेरी चौखट......

तुम्हें चाहते ही दम निकले तुम्हारे बिन है क्या जीना
तुम्हीं मक्का मेरी काशी तुम्हीं मेरा शाह ए मदीना
जिस दिल मे इश्क़ न हो तेरा वो सूरत हम भुला बैठे
तेरी चौखट......

कहे कुछ भी ये दुनिया मुझे अपना इश्क़ तुम देना
चाहे कितनी सज़ा दे दो मुझे मंजूर सब दर्द लेना
हो वही आखिरी दम मेरा जो दिल तुमको भुला बैठे
तेरी चौखट बिना जाएँ कहाँ हम दिल लगा बैठे
जगत में कौन है अपना तुम्हें अपना बना बैठे

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