कटत न काटे
कटत न काटे दिन मोहना कटत न काटे रतियाँ
बिरहन बाँवरी बैठी रोवै नित भेजे मोहन तोहे पतियाँ
हिय की पीर मेटो मनमोहन दीजौ दरस अबहुँ आय
गिन गिन दिन काटे बाँवरी पिया अजहुँ नाँहि आय
नेह की कलम हिय को कागद नीर की स्याही बनाऊँ
बिनमोल दासी तुम्हरी मोहन पिय पिय कह अकुलाऊँ
अबहुँ आय सुधि लीजो पिय जी लिख लिख पतियाँ हारी
मोहे नाँहिं बिसारो पिया जी देह तजूँ जो दियो बिसारी
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