पिय बिन

पिय बिन काहे रखिहै तन प्राण
प्राण न निकसत काहे विधना तड़पत मीन समान
मोहना ही वैध प्रेम रोग का आपहुँ कीजौ निदान
बाँवरी प्रेम करे है झूठो साँचो न लीजौ जान
जिस विधि राखो मोहन प्यारे सोई विधि कल्याण

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