अबहुँ न कीजौ देर
अबहुँ न कीजौ देर नाथ मेरे अबहुँ न कीजौ देर
भटक रह्यो बहुत जन्मन ते अबकी करो उबेर
अबहुँ न कीजौ ......
विषयन ने मोहे भरमाया , तुमसों हरि न नेह लगाया
नाम अमृतरस कबहुँ न चाख्यो , जगत की विष्ठा को पाया
अबहुँ सुधि लीजौ मोहना , मेरो दीजौ जगत निबेर
अबहुँ न कीजौ.....
छांड तुम्हें अबहुँ कित जाऊँ, तव चरणन ही नेहा लगाऊँ
नाम अपने की भिक्षा दीजौ , सुबह सों संध्या निशदिन गाऊँ
साँचो धन ही संचय होवै , तुम मोहना साँचो धन मेर
अबहुँ न कीजौ....
बहुत जन्म सों भटकी नाथा, हाथ पकरि मोहे करो सनाथा
तुम्हरो किरपा ते तुम्हरो जस गाऊँ, लिखूँ तिहारी प्रेममयी गाथा
जब लों नाम स्वास तबहुँ आवे, तुम बिन घोर अँधेर
अबहुँ न कीजौ देर नाथ मेरे अबहुँ न कीजौ देर
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