सुनो यहाँ मत आना

सुनो !!
यहाँ मत आना
बहुत दिन से तुम नहीं आए
तुम्हारा मकान मेरे पास था न
अब तुम मत लौटना
नहीं नहीं
देख नहीं पाओगे इसका हाल
इसका द्वार जड़ हो चुका है
जन्म जन्म के कुसंस्कारों से मेरी बुद्धि के रूप में
खोलने का साहस भी नहीं होता मुझसे
और भीतर की क्या कहूँ
कोने कोने में गंदगी जमी पड़ी है
कहीं कहीं तो कीड़े चल रहे
विषय वासना के कितने कीड़े पाल लिए मैंने
तुम कैसे सह पाओगे यह सब
नहीं नहीं
घोर अंधकार है भीतर
कुछ भी दिखता नहीं है
हर जगह से जीर्ण शीर्ण ये खण्डहर
जो तुम मुझे दिए थे
ऐसा तो न था
वह तो नवल धवल महल था
तुम्हारा ही निवास था
तुम जब चाहो आ सकते थे न
तुम्हारे लिए सदा सजा सँवरा ही था
दिया था तुमने मुझे जो
पर अभी तुम एक क्षण भी देखोगे
रो पड़ोगे
हाँ सच है
तुम रो पड़ोगे
तुम्हारे देखने के योग्य भी नहीं
ये मेरा हृदय रूपी मकान
जहाँ मुझे एक एक स्वास भी
घुटन भरी मिलती है
एक खिन्नता है भीतर
यहाँ जीवन कोई जीवन नहीं
और देखो न
ये गन्दगी
के कीट भी तो नित्य बढ़ते ही जा रहे
मेरे ही पाले हुए कीट
कितनी पीड़ा उठती है
कुछ नहीं दिखता इस अंधकार में
और
ये वासनाओं की दुर्गंध
हाय !!
मत देखना
तुम कहीं यह देखने की इच्छा भी मत करना
बहुत बुरा है सच मे भीतर से
बहुत बुरा
मत देखना तुम
मान लो
मत आना
तुम मत आना

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