तेरे बिना
तेरे बिना चल रही साँसों को थमने की इजाज़त दे दो
या तो मुझे मौत दो या फिर अपनी मोहब्त दे दो
तेरे बिन साँस चले ये क्यों गवारा हो मुझे
पल पल दर्द में मरने की मुझे आदत दे दो
तेरे बिना .....
हूँ गुनाहगार मैं मुद्दत से बस गुनाह ही किए
जख्म हों नासूर मेरे ऐसी इश्क़ की अमानत दे दो
तेरे बिना .......
मौत भी न आए मुझे घुट घुट ही ज़िन्दगी गुज़रे
बस तुझे चाहती रहूँ यही इक आदत दे दो
तेरे बिना ......
तेरे बिना जो गुज़रे वो ज़िन्दगी भी ज़िन्दगी तो नहीं
काश तुमसे वफ़ा कर सकूँ मुझे थोड़ी मोहलत दे दो
तेरे बिना चल रही सांसों को थमने की इजाज़त दे दो
या तो दो मौत मुझे या फिर अपनी मोहब्त दे दो
Comments
Post a Comment