कृपा कीजौ नाथ

मन मदमस्त गज सों विषयन रमण करे रैन दिन
क्षनहुँ ना नाम जपे , भुलयो रहे तोहे पल छिन
विष्ठा को कूकर होऊँ भारी,तुम पतितपावन नाथ
हाथ सिर रख दीजौ मेरे , मोहे अबहुँ कीजौ सनाथ
तुम बिन कोऊ ठौर नहीँ , गौर हरि तुम्हीं हो ठौर
बाँवरी चरणन माँहिं राखो, सुन लीजो मेरी निहोर

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