प्रीत की रीत

प्रीत की रीत न जानू मोहना आपही आय सिखावो
कौन विधि सों रीझो नाथ तुम आपही मोहे बतावो
भव बन्धन सों मोय उबारो हाथ पकर लेय जावो
नित नित सेवा पाऊँ तिहारी मोहे सेवा विधि बतावो
मूर्ख अधम हूँ कैसो हूँ तिहारी नाथा आप मोहे अपनावो
पीर बिरह की होवै भारी मोहना आपही पीर मिटावो

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