राधा राधा राधा

राधा राधा राधा राधा राधा राधा

  मधुरातिमधुर राधा राधा नाम। रा….........धा…......... राधा रा............धा............ यह नाम तो जैसे प्राणों का संचार करने वाला है। जैसे ही कर्णपुटों से यह नाम भीतर प्रवेश करता है , समस्त चित्त वृतियां जैसे शान्त हो जाती हैं , जैसे ही यह नाम कर्ण रन्ध्रों से भीतर गया , जैसे मृतवत पड़ा हुआ सब पुनः जाग्रत होने लगा। भीतर तक प्राणों का संचार कर रहा यह नाम, राधा राधा राधा..........जैसे जन्मों से अतृप्त आत्मा को कोई निधि मिल गई। राधा राधा राधा राधा राधा ......जैसे ही राधा नाम भीतर आया आत्मा तो जैसे इसकी मधुरता से झँकृत हो उठी। समस्त राग रागनियाँ इसी नाम से उठ रही हों जैसे। फिर अतृप्त आत्मा इसी नाम रस को पीते पीते जैसे नृत्य करने लगी है। राधा ..............राधा..........यह नाम तृप्ति भी कहाँ दे रहा है, वरन और अतृप्ति जागृत हो रही है। हो भी क्यों न जन्मों से जिस आधार को ढूंढ रही थी यह आत्मा उसका एक क्षण मात्र का स्पर्श ही आनन्दातिरेक कर रहा है। राधा राधा ....अब और कुछ शेष नहीं जैसे। प्राणों का आधार यही एक नाम है। इसी आनन्द में भीगी आत्मा पुनः पुनः नृत्य करती है कभी यह आनन्द अश्रु कण बन बहने लगता है । राधा राधा राधा .....और कुछ कहना सुनना शेष ही नहीं जैसे। कोटि कोटि जिव्हा भी हो जावें तो इस नाम का सार क्या कहा जावे। राधा नाम का सार तो राधा नाम ही है।

कोटि कोटि जिव्हा मुख रखिहो राधा महिमा बताय कौन
पारब्रह्म की ईश्वरी राधा इनकी महिमा जनाय कौन
मो सों पतित कोऊ जग माँहिं राधा नाम जपाय कौन
सद्गुरु मेरा दीन दयाला बिन सतगुरु पहचान पाय कौन
कोटिन कोटि जन्म के फन्द होय सद्गुरु बिना हटाय कौन
बाँवरी अपनी शरण माँहिं लीजो तुम बिन नाथ निभाय कौन

  श्री राधा राधा राधा .......

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