गौर हरि करुणा कीजौ
गौरहरि अबहुँ करुणा कीजौ
ऐसो होवै नेह तुमसों मेरो , नाम तुम्हारौ लेय नैन भीजौ
जिव्हा सों उच्चरुं गौरांग हरि , ऐसो मोहे नाम रस दीजौ
तुम करुणा की कोर नाथ मेरे , अबहुँ अधमन पर भी रीझो
आँचल पसार रही भिक्षा को , युगल प्रेम को दान मोहे दीजौ
जैसो कैसो तुम्हरो जन होऊँ , अबहुँ नाथ विलम्ब न कीजौ
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