पतितपावन
पतितों का उद्धार न करो जो पतितपावन काहे नाम धराय हो
अधमन की सुधि लेवन वारे मो सम पातक काहे बिसराय हो
अधम नीच पापिन का कबहुँ विचार कियो सब सों प्रेम निभाय हो
बाँवरी अधमन को सिरमौर होवै नाथ काहे न चरणी लगाय हो
जप तप साधन कोऊ बल मेरो नाथ तुम्हीं गौरांग मेरो मन समाय हो
झूठो ही प्रीत मेरो झूठो सो नेह होवै तुम झूठन को साँचो जनाय हो
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