कोय जाय
कोय जाय मोहन सों कहियो
धीर धरे न बाँवरी एकहुँ क्षण पिय अबहुँ दूर न रहियो
बाँवरी नित नित भेजे सन्देसवा कबहुँ आवो कहियो
रैन दिवस अकुलात फिरत है अबहुँ सुधि ले जइयो
दासी तुम्हरी नित बाट निहारे पिया देरी काहे लगइयो
प्राण हर लीजो मोरे विधना मोहे पिया नाँहि बिसरइयो
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