बहु दिन बीते

बहु दिन बीते सुधि लीजौ नाथ गिरधारी
बाँवरी बैठी पुनि पुनि रोवत अर्ज सुनयो बनवारी
कोऊ विधि न जाऊँ मैं किस विधि तोहे रिझाऊँ
रैन दिवस तेरी बाट निहारूँ बिरह पीर जर जाऊँ
अबहुँ विलम्ब न कीजौ गिरधर देर भई बहुतेरी दोऊ कर जोरि विनय करे बाँवरी अबहुँ सुनि लीजौ मेरी

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