चैतन्य महाप्रभु पद

होऊँ तो अधम जन्म सों , तुम सो उदार कौन
सब पतितन को प्रेम दियो, प्रेम अवतार कौन

शचीनन्दन रूप धरयो , चैतन्य कृष्ण नाम होय
हरि प्रेम को प्रसार कियो , नवद्वीप धाम होय

राधामाधव युगल वपु , राधा कांति राधा भाव
कृष्ण प्रेम विरहणी , सदा कृष्णप्रेम को चाव

कृष्ण कृष्ण कहो सदा , जगत में प्रचार कियो
महामन्त्र देय कलियुग में , जगत उद्धार कियो

हरे कृष्ण हरे कृष्ण ,कृष्ण कहो मेरे भाई रे
कृष्ण कृष्ण नाम से ही , जीवन सुखदाई रे

ज्ञान विज्ञान त्याग दियो , कृष्णप्रेम मूल रे
प्रेमभक्ति बिना तेरी ,मानव देह होय धूल रे

कृष्ण कृष्ण रटते हुए , जीवन बतायो रे
कृष्ण प्रेम सकल सुख , जगत जनायो रे

कृष्ण प्रेम लुटाय दीन्हों , सकल भेद मिटाय रे
पतित अधम जन्म के भी , कृष्ण प्रेम पाय रे

नाम संकीर्तन को ऐसो , दिव्य उन्माद परकटायो
राधा भाव कृष्ण धर ,  चैतन्यकृष्ण नाम धरायो

गौरहरि गौरांग प्रभु , करे नित्य नित्य प्रेम दान
भज गौरांग कह गौरांग , गौरहरि मेरे प्राण

Comments

  1. how to sing this pad if you have any laykari please send me on my mail

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