किशोरी किस विध
किशोरी किस विध नेह लगाऊँ।
तुम्हरी सौंह निर्बल अति पामर तुमसौं अति लजाऊँ।।
जन्मन सौं भूली निज स्वामिनी अबहुँ टेर बुलाऊँ।
अबकी बेर करुणामयी श्यामा तुम्हरी करुणा पाऊँ।।
कौन भागन ते नेह उपजै स्वामिनी कौन विधि रचाऊँ।
आस किशोरी चरणन की बस तोसौं ही आस धराऊँ।।
Comments
Post a Comment