कीजौ मोय चरणन

स्वामिनी कीजौ मोय चरणन धूरि।
श्यामा नाम कौ रटन बनै जीवन कीजौ जीवन मूरि।।
मुक्ति भुक्ति की कोऊ चाह न उपजै कीजौ निज दासी।
बाँवरी चाह्वे तोसे स्वामिनी मोहे महलन दयो ख़्वासी।।
जोरि रँगीली की सेवा टहल कौ लोभ दियो जगाय।
बाँवरी आस लगाय स्वामिनी सौं कौन घड़ी मुस्काय।।

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