कोटिन कोटि अपराध
कोटिन कोटि अपराध जन्म सौं तुम न एक बिचारी
पतितपावन नाम तिहारो राधे पतितन की रखवारी
छांड आस बिस्वास ठौर सब स्वामिनी तोहे पुकारी
प्राणों की निज प्राण किशोरी देखो बिगरी दशा हमारी
भोगी अधम पातकी मूढ़ा बाँवरी रह्यौ अभागन भारी
तुमहीं किये ते बने किशोरी तुम्हरी टहल कौ अधिकारी
Comments
Post a Comment