जो जन ब्रज रज भाल चढ़ाए

जो जन ब्रज रज भाल लिए चढाय
अति प्रसन्न भ्यै गौरचन्द्र हंस हंस कंठ लगाय
हंस हंस कंठ लगाय गौरा कृष्ण प्रेम लुटाय
हरे कृष्ण की बूटी पीकर हिय प्रेम उमगाय
ब्रजरज की महिमा अति भारी गौरहरि बताय
लुंठित होय जो ब्रज रज में परम निधि पा जाय

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