हा स्वामिनी
हा स्वामिनी देयो चरण रज दान।
मानिनी काहे रहियो किशोरी त्यागो अपनो मान।।
मैं जान्यो तुमसौं उदार न कोई किशोरी कृपानिधान।
विनती करे बाँवरी तोसौं राखयौ अपनी जान।।
वृथा कियो जन्म बहुतेरौ बाँवरी तू मूढ़ा नादान।
हा हा करत हूँ स्वामिनी अबहुँ द्वार पड़ी तेरे आन।।
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