नाथा दीजौ हरिनाम कौ दान

नाथा दीजौ हरिनाम कौ दान
नाम ही बनै सकल धन मेरौ क्षण क्षण कौ होय गान
जेई क्षण बिझराऊं नाथा आपनो सोई क्षण देह तजै प्रान
भजन की चटपटी दीजौ ऐसी तड़पत रहूँ जल बिन मीन समान
हा हा नाथा कबहुँ होय दसा ऐसो रहै न आपनो कछु भान
ऐसी कृपा चाह्वै बाँवरी कीजौ नाथा मेरौ सकल निदान

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून