है आग लगी
है आग लगी दिल में भारी पर मेरा सुलगना बाक़ी है
पीकर मय तेरे इश्क़ वाली थोड़ा सा बहकना बाक़ी है
धीरे से सुलगती रहे यह आग है आरज़ू मेरे दिल की यह ही
बढ़कर यह आग जला तो दे मुझमें जो मेरी मैं बाक़ी है
मुझको होना है आज गुम सा फ़नाह करदो मेरे ही वजूद से
क्यों तुझसे मिलकर लौटी हूं क्यों मुझमें मेरा होना बाक़ी है
पीकर जाम इश्क़ वाले यह रूह तलक प्यासी हुई जाती है
चलो थोड़ी प्यास और भर दो पीने की ख्वाहिश अभी बाक़ी है
बरसती है बारिशें तेरे इश्क़ की यूँ क्यों मुझको भीगने का इल्म नहीं
चलो आज भिगो दो फिर मुझको जीने की तम्मना बाकी है
दो इल्म तो कोई मोहबत का तुमको ही मोहबत कर पाऊँ
नहीं हुनर मुझमें ऐसा कोई सीखने की तम्मना बाक़ी है
बस तुमको हमेशा पुकार सकूँ ऐसी प्यास रूह में भर दो
रूहआफ़ज़ यूँ तुम हो जाओ घुलने की तम्मना बाक़ी है
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