हरिहौं तुम साँचो रखवारे
हरिहौं तुम साँचो रखवारे।
हाथ देत राखो निज जन कौ जो इक बेर पुकारे।।
शरण पड़े की रक्षा कीन्हीं दिए सब दोष बिसारे।
कलिताप से त्रस्त जीव सब हरिनाम देय उबारे।।
तुम बिन कौन होय साँचो मीत दिए जन जन्म बिसारे।
हा हा नाथ तेरौ भजन न कीन्हा बहुतेरे जन्म बिगारे।।
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