हरिहौं कबहुँ बने भजन की बात
हरिहौं कबहुँ बने भजन की बात।
जन्म जन्म भजन हीन फिरै बाँवरी जन्म बिगारत जात।।
कौन विधि हिय रमैं भजन माँहिं कौन विधि हिय ठहरे।
चँचल हिय अति इत उत धावत जन्म गए सुनहरे।।
अबहुँ गमाती फिरै जन्म यह मूढ़ा बाँवरी भजन सौं हीन।
कौन विध भजन चटपटी लागै नामरस चाख होय लीन।।
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