हौं स्वामिनी

हौं स्वामिनी सकल गुण निधान।
कोऊ बल न स्वामिनी मेरौ कौन विध करूँ बखान।।
मोसौं कौन अधम होय स्वामिनी तुम सौं कौन कृपावान।
पतित अधम पामर अति भारी बाँवरी करे नाम रस पान।।
अधमन की तुम स्वामिनी राधे नित्य देयो नाम को दान।
कबहुँ मोहे दासी कीजौ स्वामिनी विनय सुनो देय कान।।

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून