स्वामिनी नेकहुँ मेरी ओर निहार
स्वामिनी नेकहुँ मेरी ओर निहार
तुम तो भोरी अतिकरुणामयी कोमल चित उदार
कोटिन कोटि अपराध न देखो निज जन लयो उबार
हा प्राणा ब्रजजीवनी सुंदरी अबहुँ न करौ विचार
बाँवरी हिय प्रेम रह्यौ झूठो साँचो बुरी दसा हर बार
अबहुँ टेर लगावत बैठी प्यारी सुनो कृपाकोर इक बार
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