मीठा मीठा सा

मीठा मीठा सा दर्द है यह थोड़ा खुमार है इश्क़ का
जितना पिया उतना प्यासा हुआ दिल बीमार है इश्क़ का

पल पल तेरे इश्क़ है जुनून बढ़ता जाता
सुकून की चाह हुई किसे है दिल बेकरार इश्क़ का
मीठा मीठा.......

गहरे समन्दर ए इश्क़ में डूबना ही तो मंजिल है
बस डूबते ही मंजिल अपनी यही पार है इश्क़ का
मीठा मीठा ........

खुद का वजूद मिटा करके बेखुदी का जिसने स्वाद लिया
उतना ही भीतर जिया उसे मिला यही सार है इश्क़ का
मीठा मीठा ........

मिटना इश्क़ का दस्तूर हुआ हस्ती जो अपनी मिटा गया
खुद को खो कर उसको पाया वही हकदार है इश्क़ का
मीठा मीठा .......

गीली सी लकड़ी जैसा हुआ सुलगना अब कुबूल हमें
इस इश्क़ की आग में तप कर ही आता निखार है इश्क़ का
मीठा मीठा सा दर्द है यह थोड़ा खुमार है इश्क़ का
जितना पिया उतना प्यासा हुआ दिल बीमार है इश्क़ का

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