शिक्षा अष्टकम
*शिक्षा अष्टकम*
कलिपावनावतार श्रीमन चैतन्य महाप्रभु जी ने अपनी सम्पूर्ण शिक्षा केवल आठ सूत्रों में पिरोकर शिक्षा अष्टकम इस विश्व को प्रदान किया है। साधक के लिए भजन की विधि, भजन की निरंतरता, जीवन की शैली, श्रीकृष्ण चरण अनुराग, रस प्राप्ति आदि गूढ़ विषय , इन आठ सूत्रों में बहुत महीनता से गूंथे गए हैं। एक एक सूत्र वास्तव में एक एक ग्रंथ है, जिसका विश्लेषण शब्द सीमा में भी सम्भव नहीं है। फिर भी श्रीमन महाप्रभु जी की इच्छा अनुरूप जहाँ तक सम्भव हुआ , शिक्षा अष्टक के एक एक सूत्र का विस्तार किया जा सकता है। श्रीगौरहरि की इच्छा के बिना एक शब्द भी लिख पाना मुझसे अधम जीव की धृष्टता ही है। श्रीश्री गौरसुन्दर के चरणों मे पुनः पुनः निवेदन है कि उनके चरण अनुराग के बल से ही इस विषय का स्पर्श सम्भव है। मुझसे अधम जीव का किसी भाँति से सामर्थ्य नहीं कि किसी सूत्र का विस्तृत रूप लिखा जा सके, अपितु स्पर्शमात्र ही श्रीश्री गौरहरि की कृपा वृष्टि है।श्रीश्रीनिताईगौरसुन्दर के चरणों मे निवेदन है कि इस विषय पर कुछ शब्द स्फुरण का बल प्रदान करें।
जय निताई जय गौर
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