हरिहौं एक बार सुन लीजै
हरिहौं एकहुँ बार सुनि लीजै
झूठी साँची पुकार कीन्हीं कान अबहुँ नाथा कीजै
कौन कौ जाय पुकारूँ नाथा पतित राखे द्वारे
तुमहीं साँचो पतितपावन हरि राखो भुजा पसारे
नहीं मेरौ तुम बिन कोऊ दूजा कौन कौ टेर बुलाऊँ
व्याकुल चित करौ मेरौ ऐसो क्षणहुँ नाय बिसराऊं
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