कबहुँ उपजै चरण रज को आस
हा किशोरी कबहुँ उपजै चरणन रज कौ आस
आपहुँ कृपा कीजौ अधमन पै देयो हिय ब्रजवास
देयो हिय ब्रजवास श्यामाश्याम की ही रटन बनै
झूठे जग सौं पकर निकारो श्यामा तेरी ही लग्न बनै
निर्बल बाँवरी का तुम बल किशोरी कीजौ निज चेरी
प्राण न रह्वै तुमसौं दूर होय क्षण ऐसी कीजौ दसा मेरी
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