मेरा दर्द
कुछ बिखरा सा
कुछ टूटा सा
तन्हा सा
मुझमें रोता है
तू मिलता है मुश्किल से
जाने मुझसे क्यों खोता है
तुझमें होकर भी प्यास रही
न दूर हुई बस पास रही
न पुकार सकी एक बार तुझे
न भूल सकूँ तेरी आस नई
जाने यह प्रेम का बंधन कैसा
जहाँ मिलकर भी हम मिले नहीं
इक प्यास अधूरी सी मुझमें
उतरी है
जो कभी बुझी नहीं
सच कहूँ यह प्यास तुम्हारी ही
मुझमें जो रोज उतरती है
जो पीकर प्यासा करती है
फिर प्यास नई नई भरती है
हाँ प्रेम बहुत तुमको मुझसे
हृदय बार बार कहता है
कभी तुमको प्रेम मैं कर पाऊँ
यही दर्द हृदय में रहता है
यही दर्द मुझे सदा रहता है
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