एकहुँ बार सुनि लीजै
[12/05, 13:27] गौरांग कृपा: हरिहौं हम पतित मलीन
भजन हीन भटके जग वीथिन स्वांग बनावें दीन
कबहुँ बैठ भजन बने बाँवरी होवै भजन माँहिं लीन
कबहुँ लगै हिय चटपटी तड़पत बनै ज्यूँ जल बिन मीन
बाँवरी भोगी पामर अति भारी स्वांग धरावै नित्य नवीन
कोऊ बल न मेरौ नाथा भोगी जन पामर बलहीन
[12/05, 13:27] गौरांग कृपा: हरिहौं आपहुँ लयो बचाय
निर्बल अधम नीच बाँवरी कौ माया फिरै नचाय
तुम्हरे होत कौन कौ टेरुं नाथा आपहुँ बनत बनाय
हा हा नाथ करौ मेरौ उद्धारा बाँवरी अरज लगाय
निर्बल कौ बल तुमहीं नाथा आपहुँ करौ सहाय
बाँवरी दासी की अरज सुन लीजो तुमसौं ही आस लगाय
[12/05, 13:27] गौरांग कृपा: हरिहौं कौन विध जग छूटै
कबहुँ सकल विकार तज बाँवरी नाम भजन कौ लूटै
विरथा किये मूढ़ा जन्म बहुतेरे भाग्य बाँवरी फूटै
नाम भजन बिन प्रेम न उपजै भारी भव बन्धन न टूटै
फिरत रहै षड रस लोभी कूकरी बन्धन पड़ी झूठै
हा हा गौर साँवरे टेरत रहूँ नाथ न मेरौ रुठै
[12/05, 14:02] गौरांग कृपा: हरिहौं कौन विध नाम टेरुं
बात बनाऊँ रैन दिवा झूठी हिय जगत माँहिं फेरूं
हा हा नाथा अबहुँ अकुलाऊँ बिगरी आपहुँ बनावो
मो निर्बल कौ बल होय तुम्हरो भव सौं पार लगावो
न चाहूं मोय प्रीति देयो अपनी विरहा अग्नि तपावो
टेरत रहूँ नाम निशि बासर नाथा ऐसो करौ उपावो
[12/05, 14:02] गौरांग कृपा: हरिहौं साँचो धन बिसराई
जग वीथिन फिरै पतित बाँवरी साँचो नाथ भुलाई
जन्म जन्म सौं भटकै मूढ़ा खोटी करी कमाई
कैसो नाव पार होवै जग सौं दीन्हीं नहीं उतराई
हिय अति सुखो तेरौ काठ सम न रस रीति समाई
बाँवरी जन्म बिरथा सब कीन्हीं काहे कौख तू जाई
[12/05, 14:11] गौरांग कृपा: हरिहौं कीजौ आपहुँ रखवारी
मूढ़ा पुनि जग वीथिन धावै सगरौ जन्म बिगारी
उलझत ज्यूँ मकरी कौ जाला भव सौं पार न पावै
हा हा नाथ देखो करी दुर्दशा बाँवरी टेर बुलावै
तुम बिन मीत कौन होय साँचो कौन सौं नेह लगाऊँ
बाँवरी न जाने कोऊ रीति प्रेम की झूठी सगरो बात बनाऊँ
[12/05, 15:07] गौरांग कृपा: बाँवरी सगरो जन्म बिगारी
झूठे देह सम्बन्ध रही उलझी खावै जगत कौ गारी
खावै जगत की गारी नित जेई लागै मूढ़े अति नीकी
भजन बनै न कोऊ विध साँचो बात भजन की होय फीकी
कैसो घनेरो भव रोग उपज्यो बाँवरी कबहुँ नाम लेय टेर
बनत बनत बिगरी बहुतेरी तेरी पशु जन्म बितायो अबकी बेर
[12/05, 15:11] गौरांग कृपा: हरिहौं माया लियो भरमाय
बाँवरी भई भव रोगी भारी आपहुँ लयो छुड़ाय
आपहुँ लयो छुड़ाय मोय भव रोग जकडयो अति भारी
फूलत फिरै बाँवरी पशु सम अपनो सगरौ जन्म बिगारी
कौन घड़ी लगै भजन चटपटी कौन घड़ी सुमिरनी उठावै
बाँवरी खोटी तू रही जन्म सौं अबहुँ भजन बिन जन्म गमावै
[12/05, 15:17] गौरांग कृपा: हरिहौं कीजौ कौन उपाय
कौन विध नेह लगै मोय साँचो झूठी तोसौं नेह लगाय
झूठो नेह लगाय बाँवरी कूकरी सम विष्ठा रही पाय
कौन घड़ी भव निद्रा सौं जागै दियो साँचो नाथ भुलाय
हा हा नाथ मेरौ ठौर कोऊ न कौन वीथिन बाँवरी जाय
झूठो साँचो नाम अबहुँ टेरत हाय नाथा हिय अकुलाय
[12/05, 15:22] गौरांग कृपा: हरिहौं कीजौ मेरी रखवारी
झूठो साँचो तुम्हरौ होऊँ नाथा जन्मन दिये बिसारी
अबहुँ न जागी भव निद्रा सौं आवे न भजन की बारी
दसा बड़ौ बुरी मेरौ नाथा आपहुँ हाथ देयो कछु सँवारी
मो अधमन कौ बल न कोऊ हा हा नाथा अबहुँ पुकारी
कछु सुधार कीजौ मेरौ नाथा बाँवरी सगरौ जन्म बिगारी
[12/05, 15:29] गौरांग कृपा: हरिहौं एकहुँ बार सुनि लीजै
झूठी साँची पुकार कीन्हीं कान अबहुँ नाथा कीजै
कौन कौ जाय पुकारूँ नाथा पतित राखे द्वारे
तुमहीं साँचो पतितपावन हरि राखो भुजा पसारे
नहीं मेरौ तुम बिन कोऊ दूजा कौन कौ टेर बुलाऊँ
व्याकुल चित करौ मेरौ ऐसो क्षणहुँ नाय बिसराऊं
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