तेरी रहमतों की
तेरी रहमतों की साहिब कोई कमी नहीं है
बरसेगी कैसे बदरी जहाँ नीची जमीं नहीं है
तेरे इश्क़ की तो बरसातें मुद्दत से बरसती हैं
सूखा पड़ा है दिल मेरा कोई नमी नहीं है
तेरी रहमतों की.......
न अब तलक आया हमको हुनर ए इश्क़ कोई
सच काबिल ए उल्फत के बंदे हमी नहीं हैं
तेरी रहमतों की.......
मुद्दत से बरसती है बरसातें इश्क़ की भारी
पल पल का है बरसना यह बरकत थमी नहीं है
तेरी रहमतों की.......
अब किस जुबां से शुक्रिया भी करें साहिब
थोड़ी सी मोहबतें भी इस दिल में रमी नहीं है
तेरी रहमतों की.......
तेरी रहमतों की साहिब कोई कमी नहीं है
बरसेगी कैसे बदरी जहाँ नीची जमीं नहीं है
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