यह जो घुलता सा
यह जो घुलता सा रहता है मुझमें
मेरे साहिब यह इश्क़ तेरा ही है
गुनगुनाता है इश्क़ के नगमे मुझमें
मेरे साहिब यह इश्क़ तेरा ही है
होती है जो बेखुदी मुझको मुझसे
मेरे साहिब यह इश्क़ तेरा ही है
धड़कन बन धड़कता है जो मुझमें
मेरे साहिब यह इश्क़ तेरा ही है
नशा सा बन उतरता रहता है मुझमें
मेरे साहिब यह इश्क़ तेरा ही है
मुझमें मेरा वजूद ही न रहे कोई बाक़ी
सांस बन आता जाता तेरा इश्क़ ही है
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