बरसात इश्क़ की

झूम रही हूँ इश्क़ की बरसात हो रही
खामोश हैँ लब दिल से दिल की बात हो रही

क्यों हवाओं में तेरी महक आ रही
हर आवाज़ क्यों तेरी याद दिला रही

सच है इश्क़ तेरा अब मेरा नसीब है
आँखों से दूर सही रूह के करीब है

इस रूह को अब तेरा एहसास सो चला
अब मेरे दिल में तू कुछ खास हो चला

क्यों तुझमें और मुझमें पर्दा है नज़र का
ले रहे हो इम्तिहान क्यों मेरे सब्र का

अब जो आ गए हो तो मिल जाओ कुछ इस तरह
की जुदा हो सके ना हम तुम से किसी तरह

रख लो आगोश में तेरे बिना अब कुछ नहीं
झूठ ही वो जिंदगी तेरे बिना जो गयी

अब मुझे पल भी तेरे बिना नहीं रहना
दिल से सुन लो बात अब लफ़्ज़ों में नहीं कहना

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